हनुमान जी का बजरंग बाण हर परेशानी का अचूक हल साबित होगा. इस बजरंग बाण को पढ़कर दूर करें अपने सारे संकट

बजरंग बाण पाठ के नियम: अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए बजरंग बाण के पाठ का संकल्प लेना चाहिए। किसी भी मंगलवार या शनिवार को इसके पाठ की शुरुआत करने की सलाह दी जाती है। पाठ शुरू करने के लिए पहले सामने एक घी का दीपक जलाएं, लाल या नारंगी रंग का वस्त्र पहनें। इसके बाद लाल या नारंगी वस्त्र या लाल रंग या कुश के आसन पर बैठकर हनुमान जी का ध्यान करें। फिर बजरंग बाण का पाठ शुरू करना चाहिए।

दोहा

निश्चय प्रेम प्रतीत ते, विनय करें सनमान

तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान

 

चौपाई

जय हनुमंत संत हितकारी ॥ सुन लीजै प्रभु अरज हमारी 1

 जन के काज विलम्ब कीजै ॥ आतुर दौरि महा सुख दीजै 2

 

जैसे कूदि सुन्धु वहि पारा ॥ सुरसा बद पैठि विस्तारा 3

आगे जाई लंकिनी रोका ॥ मारेहु लात गई सुर लोका 4

 

जाय विभीषण को सुख दीन्हा ॥ सीता निरखि परम पद लीन्हा 5

बाग उजारी सिंधु महं बोरा ॥ अति आतुर जमकातर तोरा 6

 

अक्षय कुमार मारि संहारा  लूम लपेट लंक को जारा 7

लाह समान लंक जरि गई ॥ जय जय धुनि सुरपुर में भई 8

 

अब विलम्ब केहि कारण स्वामी ॥ कृपा करहु उन अन्तर्यामी 9

जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता ॥ आतुर होय दुख हरहु निपाता 10

 

जै गिरिधर जै जै सुखसागर ॥ सुर समूह समरथ भटनागर 11

जय हनु हनु हनुमंत हठीले ॥ बैरिहि मारु बज्र की कीले 12

 

गदा बज्र लै बैरिहिं मारो ॥ महाराज प्रभु दास उबारो 13

कार हुंकार महाप्रभु धावो ॥ बज्र गदा हनु विलम्ब लावो 14

 

  ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा ॥  हुं हुं हनु अरि उर शीशा 15

 सत्य होहु हरि शपथ पाय के ॥ रामदूत धरु मारु जाय के 16

 

जय जय जय हनुमंत अगाधा ॥ दुःख पावत जन केहि अपराधा 17

पूजा जप तप नेम अचारा ॥ नहिं जानत हौं दास तुम्हारा 18

 

वन उपवन, मग गिरि गृह माहीं ॥ तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं 19

पांय परों कर जोरि मनावौं ॥ यहि अवसर अब केहि गोहरावौं 20

 

जय अंजनि कुमार बलवन्ता ॥ शंकर सुवन वीर हनुमंता 21

बदन कराल काल कुल घालक ॥ राम सहाय सदा प्रति पालक 22

 

भूत प्रेत पिशाच निशाचर ॥ अग्नि बेताल काल मारी मर 23

इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की ॥ राखु नाथ मरजाद नाम की 24

 

जनकसुता हरि दास कहावौ ॥ ताकी शपथ विलम्ब लावो 25

जय जय जय धुनि होत अकाशा ॥ सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा 26

 

चरण शरण कर जोरि मनावौ ॥ यहि अवसर अब केहि गौहरावौं 27

उठु उठु उठु चलु राम दुहाई ॥ पांय परों कर ज़ोरि मनाई 28

 

चं चं चं चं चपल चलंता ॥  हनु हनु हनु हनु हनुमंता 29

हं हं हांक देत कपि चंचल ॥  सं सं सहमि पराने खल दल 30

 

अपने जन को तुरत उबारो ॥ सुमिरत होय आनन्द हमारो 31

यह बजरंग बाण जेहि मारै ॥ ताहि कहो फिर कौन उबारै 32

 

पाठ करै बजरंग बाण की ॥ हनुमत रक्षा करैं प्राण की 33

यह बजरंग बाण जो जापै ॥ ताते भूत प्रेत सब कांपै 34

 

धूप देय अरु जपै हमेशा ॥ ताके तन नहिं रहै कलेशा 35


दोहा: 

प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान

तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान


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